रायपुर । आईपीएस एसोशियेसन, छत्तीसगढ़ चैप्टर के सभी सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को चुनाव कार्य से हटाने को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है । ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय चुनाव आयोग अपने पूर्व जारी एवं संबंधित आदेश को प्रजातांत्रिक मूल्यों के संवर्धन में निरस्त करने पर पुनर्विचार करे ।
सौंपे गये ज्ञापन में यह कहा गया है कि यह भारतीय निर्वाचन आयोग सहित सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ राज्य गंभीर नक्सली समस्या से ग्रस्त है। जो प्रजातंत्र को नुकसान पहुँचान के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं । यह सत्य राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है तथा विभिन्न स्तरों पर इस पर सहमति भी व्यक्त की गई है । पुलिस बल नक्सली हिंसा से जुझ रही है, जिसमें अनेक जिंदगी भी हताहत हुए हैं । यह नक्सली आंतक कुछ विशेष अवसरों पर जैसे चुनाव के दरमियान वृहत आकार भी लेता रहा है, जब अनुभवी एवं व्यावसायिक दृष्टि से दक्ष नेतृत्व में ज्यादा सावधानी एवं समर्पण आवश्यकता होती है ऐसी परिस्थितियों में विषय-विशेषज्ञ ही बल को मार्गदर्शन देकर उसकी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग करके अभियानों के दरमियान जान-माल की अधिकतम सुरक्षा दे सकता है । हाल ही के विधानसभा चुनावों के निर्विघ्न संपन्न होने से इस तथ्य की पुष्टि होती है ।
दुर्भाग्य से भारतीय चुनाव आयोग द्वारा राज्य शासन को पुलिस महानिदेशक को असमय हटाने के निर्देश दिया है, जो आश्चर्यजनक है तथा व्यवस्था में हमारे जनविश्वास को बुरी तरह प्रभावित करता है । जो बातें अब तक सामने आयीं है उसके अनुसार पुलिस महानिदेशक ने राज्य में मौजूद स्थिति के मद्देनज़र अपने पुलिस बल की चिन्ता ही व्यक्त ही की है । समाचार पत्र को दिया गया तथाकथित वक्तव्य का संबंध स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव से दूर-दूर तक नहीं है । शब्दों का जो ग़लत अर्थ निकाला गया है उससे यही प्रतीत होता है कि राई के तिल से पहाड़ बनाया गया है । इसके परिणामस्वरूप क़दम उठाया गया है वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को स्थापित नहीं करता । और यह संवैधानिक व्यवस्था में चेक एवं बैलेंस के सिद्धांत के विपरीत ही है । ऐसी स्थिति में उस अधिकारी को जिसने लाखों की संख्या में पुलिस बल को चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार प्रजातांत्रिक प्रक्रियाओं के पालन तथा निष्पक्ष चुनावों में लगाया है किसी भी तरह से अपने विचार व्यक्त करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता जो उन्होंने अपने दीर्घ अनुभव एवं व्यावसायिक क्षमता के बल पर व्यक्त किये हैं ।
यहाँ यह समझना आवश्यक है कि पुलिस महानिदेशक केवल एक पद ही नहीं है जो ऐसे अन्य सामान्य कार्यों को करने वालों के समकक्ष हो, जो सुरक्षा बलों को ही कमांड नहीं करता वरन् वह अपने आप में एक संस्था है । पुलिस बल अपने कमांडर को एक आदर्श के रूप में देखता है जिसके निर्देशों पर वह अपनी मर मिटने के लिए भी तैयार रहता है । इस प्रकार की नेतृत्व क्षमता का उपयोग राज्य हित में किया जाना चाहिए ।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सारे पुलिस अधिकारी जिन पर चुनाव कराने की जिम्मेदारी होती है वे भी चुनाव की अधिसूचना जारी किये जाने पर ही चुनाव आयोग में प्रतिनियुक्त मान लिये जाते हैं । चुनाव आयोग के द्वारा नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के नियंत्रण हेतु प्रदत्त अधिकारों का उपयोग प्रजात्रांतिक एवं ज्यादा पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए । माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तारतम्य मे किसी पुलिस अधिकारी की पदस्थापना कम से कम दो वर्ष की अवधि तक रखने संबंधी पुलिस एक्ट में किये गये प्रावधान का भी यहाँ उल्लंघन हुआ है । राज्य के प्रशासनिक कार्यों के संबंध में कार्य करते हुए आयोग के निर्णय अधिक प्रजातांत्रिक एवं पारदर्शी होने की अपेक्षा की जाती है तथा पुलिस बल के मनोबल को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाले प्रकरणो में उचित रूप से निर्णय लिया जाना अपेक्षित होता है ।
इस प्रकार नक्सल प्रभावित राज्य में संसदीय चुनाव की संवेदनशीलता को देखते हुए चुनाव आयोग द्वारा पुलिस महानिदेशक को हटाने संबंधी दिया गया आदेश छत्तीसगढ़ के पुलिस बल के लिए निश्चय ही घातक है । छत्तीसगढ़ पुलिस अत्यंत गंभीर एवं विपरीत परिस्थितियो मे अपना कर्तव्य निभाती है अतः आयोग का यह निर्णय ऐसे समय में बल के मनोबल और निष्ठा को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा । इसलिए आईपीएस एसोशियेसन, छत्तीसगढ़ चैप्टर के सदस्य भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश से उद्वेलित हैं तथा आयोग से इस निर्णय पर सही रूप से पुनर्विचार हेतु अनुरोध करते हैं ।
आईपीएस एसोशियेसन, छत्तीसगढ़ चैप्टर के सभी सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है ताकि वे उनकी भावनाओं को भारतीय निर्वाचन आयोग और संबंधित संस्था तक पहुँचा सकें ।
मुख्यमंत्री और महामहिम को ज्ञापन सौपने में जो अधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित थे उनमें, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रामनिवास, आईजी त्रय डी.एम.अवस्थी, ए.के.तिवारी, व आर.के.विज, डीआईजी पवनदेव, अरुणदेव गौतम, हिमांशु गुप्ता सहित बड़ी संख्या में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी महत्वपूर्ण हैं ।
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