रायपुर। विधानसभा चुनाव में पराजित कांग्रेस के कद्दावर नेता निराश नहीं हुए है। सभी नेताओं के सामने तीन माह बाद फरवरी में संभावित लोकसभा चुनाव ने अवसर प्रदान किया है कि वे अपने माथे पर लगे शिकस्त के दाग को धोकर जीत का तिलक लगा सके। नेता प्रतिपक्ष महेंन्द्र कर्मा उपनेता भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू और कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा की अब ये रणनीति है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में इन्हें फिर अवसर प्रदान करें ताकि वे साबित कर सके कि उन्हें भी चुनाव जीतना आता है। कांग्रेस के अपराजित योद्धा सत्यनारायण शर्मा अब तक लगातार पांच बार विधानसभा का चुनाव् जीत चुके है। और परिसीमन के चलते उनकी मंदिर हसौद सीट के विलोपित होने से उन्हें रायपुर ग्रामीण से चुनाव लडऩा पड़ा जहां वे दो हजार वोटों से पराजित हो गए। इस हार के बाद भी उन्होंने सक्रिय राजनीति से मुंह नहीं मोड़ा है और सार्वजनिक जीवन की व्यवस्था बनाए हुए है। उनके नजदीकीयों के मुताबिक श्री शर्मा लोकसभा चुनाव में फिर से किस्मत अजमा सकते है और चुनाव में कोई गलती नहीं क रेगें। इसी तरह अपराजित विजेता भूपेश बघेल को चौंका मारने का भले ही अवसर नहीं मिला
Saturday, February 7, 2009
शर्मा, कर्मा, बघेल साहू लड़ेंगे लोस चुनाव
रायपुर। विधानसभा चुनाव में पराजित कांग्रेस के कद्दावर नेता निराश नहीं हुए है। सभी नेताओं के सामने तीन माह बाद फरवरी में संभावित लोकसभा चुनाव ने अवसर प्रदान किया है कि वे अपने माथे पर लगे शिकस्त के दाग को धोकर जीत का तिलक लगा सके। नेता प्रतिपक्ष महेंन्द्र कर्मा उपनेता भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू और कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा की अब ये रणनीति है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में इन्हें फिर अवसर प्रदान करें ताकि वे साबित कर सके कि उन्हें भी चुनाव जीतना आता है। कांग्रेस के अपराजित योद्धा सत्यनारायण शर्मा अब तक लगातार पांच बार विधानसभा का चुनाव् जीत चुके है। और परिसीमन के चलते उनकी मंदिर हसौद सीट के विलोपित होने से उन्हें रायपुर ग्रामीण से चुनाव लडऩा पड़ा जहां वे दो हजार वोटों से पराजित हो गए। इस हार के बाद भी उन्होंने सक्रिय राजनीति से मुंह नहीं मोड़ा है और सार्वजनिक जीवन की व्यवस्था बनाए हुए है। उनके नजदीकीयों के मुताबिक श्री शर्मा लोकसभा चुनाव में फिर से किस्मत अजमा सकते है और चुनाव में कोई गलती नहीं क रेगें। इसी तरह अपराजित विजेता भूपेश बघेल को चौंका मारने का भले ही अवसर नहीं मिला
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