प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में भ्रष्टाचार केंद्र ने रोकी राशि
रायपुर । प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में अफसरों के भ्रष्टï कारनामों के चलते विभागीय मंत्री रामविचार नेताम के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रहा है। इस योजना की करीब 600 करोड़ रुपए की राशि केंद्र ने रोक ली है। भ्रष्ट अधिकारियों ने जिन दर्जनभर ठेकेदारों को काली सूची में डाला है उसकी करतूत अब उजागर होने लगी है। ठेकेदारों के मुताबिक केंद्रीय गुणवत्ता जांच दल को जिन सडक़ों को दिखाया गया वो दरअसल सबसे अच्छी सडक़ें थी और ठेकेदार भी वे थे जो भ्रष्टï अफसरों के काली करतूतों में शांिमल नहीं थे। ये ठेकेदार पहले ही एक साल के लिए विभाग की ब्लैक लिस्ट में थे और इसके खिलाफ कतिपय ठेकेदार अदालत की भी शरण में हैं। कहा जा रहा है कि भ्रष्टï अफसरों ने अपना गिरेबां बचाने के लिए छोटी मछलियों को फंसा दिया है और बड़े मगरमच्छ को बचाया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के घोटाले में घोटाला किया जा रहा है। हटाए गए चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा और कार्यपालन यंत्री एफ.एच. खान की गड़बडियों पर पर्दा डालने के लिए उन लोगों पर कार्रवाई की जा रही है जो इनके घोटालों में शामिल नहीं थे और पहले से ही इनकी प्रताडऩा के शिकार थे। इस संदर्भ में अच्छा काम करने वाली फर्म एनसी नाहर का उदाहरण दिया जा राह है। मिली जानकारी के अनुसार इस फर्म को हटाये गए मुख्य अभियंता श्री मिश्रा ने 14 अगस्त सन 2008 को टेंडर में तथ्यों को छुपाने के आरोप पर विभाग की काली सूची में एक वर्ष के लिए डाल दिया था कहा जाता है कि अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका दिलाने के लिए श्री मिश्रा ने ये कार्रवाई की थी। एन सी नाहर फर्म की छत्तीसगढ़ में अच्छी साख है और बेहतर कार्य निष्पादन के लिए इसे जाना जाता है। फर्म के संचालकों ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में फिर याचिका दायर की है। इसके चलते विभागीय अधिकारियों ने अपने भ्रष्टï कारनामों पर पर्दा डालते हुए इस फर्म पर घटिया सडक़ निर्माण के कथित आरोपों पर नयी सूची में भी नाम सूचीबद्ध कर दिया और विभागीय यंत्री सहित मीडिया को भी गुमराह किया है।
फर्म के संचालक इसके खिलाफ केंद्रीय विभाग सहित मुख्यमंत्री को भी जानकारी देकर भ्रष्टï की काली करतूतों को बताने के प्रयास में है तो बाकी अन्य ठेकेदार भी विभागीय अधिकारियों के इस खेल की पोल खोलने में जुट गए। ठेकेदारों के मुताबिक सड्डू-उरकुरा मार्ग सहित कई माग की सडक़ें फर्म द्वारा बनाई गई सडक़ों की जांच करें तो बहुत सी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आएगी। नेशनल क्वालिटी मानिटरिंग की टीम को विभागीय अफसरों ने सबसे अच्छी सडक़ें दिखाई जो घटिया पाई गई तो बाकी सडक़ें कैसे बनी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना भारी विवादों के केंद्र में है। इस योजना के हजारों करोड़ रुपए की राशि में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और उनके चहेते ठेकेदारों ने जो भ्रष्टïाचार किया है उसकी कालिख सरकार के मुंह पर पुती है। इसे साफ करने के लिए सरकार को छोटी मछलियों की जगह बड़े मगरमच्छों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि विभाग की सफाई हो सके।
रायपुर । प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में अफसरों के भ्रष्टï कारनामों के चलते विभागीय मंत्री रामविचार नेताम के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रहा है। इस योजना की करीब 600 करोड़ रुपए की राशि केंद्र ने रोक ली है। भ्रष्ट अधिकारियों ने जिन दर्जनभर ठेकेदारों को काली सूची में डाला है उसकी करतूत अब उजागर होने लगी है। ठेकेदारों के मुताबिक केंद्रीय गुणवत्ता जांच दल को जिन सडक़ों को दिखाया गया वो दरअसल सबसे अच्छी सडक़ें थी और ठेकेदार भी वे थे जो भ्रष्टï अफसरों के काली करतूतों में शांिमल नहीं थे। ये ठेकेदार पहले ही एक साल के लिए विभाग की ब्लैक लिस्ट में थे और इसके खिलाफ कतिपय ठेकेदार अदालत की भी शरण में हैं। कहा जा रहा है कि भ्रष्टï अफसरों ने अपना गिरेबां बचाने के लिए छोटी मछलियों को फंसा दिया है और बड़े मगरमच्छ को बचाया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के घोटाले में घोटाला किया जा रहा है। हटाए गए चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा और कार्यपालन यंत्री एफ.एच. खान की गड़बडियों पर पर्दा डालने के लिए उन लोगों पर कार्रवाई की जा रही है जो इनके घोटालों में शामिल नहीं थे और पहले से ही इनकी प्रताडऩा के शिकार थे। इस संदर्भ में अच्छा काम करने वाली फर्म एनसी नाहर का उदाहरण दिया जा राह है। मिली जानकारी के अनुसार इस फर्म को हटाये गए मुख्य अभियंता श्री मिश्रा ने 14 अगस्त सन 2008 को टेंडर में तथ्यों को छुपाने के आरोप पर विभाग की काली सूची में एक वर्ष के लिए डाल दिया था कहा जाता है कि अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका दिलाने के लिए श्री मिश्रा ने ये कार्रवाई की थी। एन सी नाहर फर्म की छत्तीसगढ़ में अच्छी साख है और बेहतर कार्य निष्पादन के लिए इसे जाना जाता है। फर्म के संचालकों ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में फिर याचिका दायर की है। इसके चलते विभागीय अधिकारियों ने अपने भ्रष्टï कारनामों पर पर्दा डालते हुए इस फर्म पर घटिया सडक़ निर्माण के कथित आरोपों पर नयी सूची में भी नाम सूचीबद्ध कर दिया और विभागीय यंत्री सहित मीडिया को भी गुमराह किया है।
फर्म के संचालक इसके खिलाफ केंद्रीय विभाग सहित मुख्यमंत्री को भी जानकारी देकर भ्रष्टï की काली करतूतों को बताने के प्रयास में है तो बाकी अन्य ठेकेदार भी विभागीय अधिकारियों के इस खेल की पोल खोलने में जुट गए। ठेकेदारों के मुताबिक सड्डू-उरकुरा मार्ग सहित कई माग की सडक़ें फर्म द्वारा बनाई गई सडक़ों की जांच करें तो बहुत सी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आएगी। नेशनल क्वालिटी मानिटरिंग की टीम को विभागीय अफसरों ने सबसे अच्छी सडक़ें दिखाई जो घटिया पाई गई तो बाकी सडक़ें कैसे बनी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना भारी विवादों के केंद्र में है। इस योजना के हजारों करोड़ रुपए की राशि में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और उनके चहेते ठेकेदारों ने जो भ्रष्टïाचार किया है उसकी कालिख सरकार के मुंह पर पुती है। इसे साफ करने के लिए सरकार को छोटी मछलियों की जगह बड़े मगरमच्छों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि विभाग की सफाई हो सके।
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